Cucumber Advisory

एन्थ्राक्नोस (फल का गलना ): यह बीमारी खीरे के लगभग सारे हिस्सों पर हमला करती है, जो ज़मीन से ऊपर होते हैं| पुराने पत्तों पर पीले रंग के धब्बे और फलों पर गहरे गोल धब्बे दिखाई देते हैं|

   रोकथाम: फसल को इस बीमारी से बचाने के लिए फंगसनाशी क्लोरोथैलोनिल और बेनोमाइल डालें|

मुरझाना:  गर्मियों में 5-6 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें और बारिश के मौसम में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें।

रोकथाम: इस बीमारी की रोकथाम के लिए पत्तों पर कीटनाशक की स्प्रे करें|

पत्तों के सफेद धब्बे:  पत्तों के ऊपर की तरफ सफेद पाउडर वाले धब्बे दिखाई देना, इस बीमारी के लक्षण है, जिसके कारण पत्ते सूखने लग जाते हैं|

रोकथाम:  इस बीमारी की रोकथाम के लिए 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम को 1 लीटर पानी में मिला कर स्प्रे करें| इसको क्लोरोथैलोनिल, बैनोमाइल या डिनोकैप जैसी फंगसनाशी स्प्रे द्वारा रोका जा सकता हैं|

चितकबरा रोग:   पौधों का विकास रुक जाना, पत्ते मुरझाना और फल के निचले हिस्से का पीला दिखाई देना इस बीमारी के मुख्य लक्षण हैं|

 रोकथाम:  इसकी रोकथाम के लिए डियाज़ीनॉन डाली जाती हैं| इसके लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8% ऐस एल 7 मि.ली. को 10 लीटर पानी में मिला कर प्रयोग करें|

 फल की मक्खी:  यह खीरे की फसल में पाये जाने वाला गंभीर कीट हैं| मादा मक्खियां नए फल की परत के नीचे की ओर अंडे देती हैं| फिर यह फल के गुद्दे को भोजन बनाते हैं, जिस कारण फल गलना शुरू हो जाता है और फिर टूट कर नीचे गिर जाता है|

 रोकथाम:  इसकी रोकथाम के लिए 3.0% पत्तों पर नीम के तेल की स्प्रे करें|
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20% छूट
1 Pieces
₹ 600
₹ 480
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30% छूट
500.00 Gm
₹ 480
Out of Stock
₹ 332
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30% छूट
1.00 Kg
₹ 930
Out of Stock
₹ 648
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19% छूट
500.00 ML
₹ 960
Out of Stock
₹ 773
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39% छूट
250.00 ML
₹ 650
Out of Stock
₹ 395
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19% छूट
1.00 Ltr
₹ 1890
Out of Stock
₹ 1523
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19% छूट
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150.00 ML
₹ 2790
₹ 2250
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26% छूट
150.00 ML
₹ 2463
Out of Stock
₹ 1850
फसल की कटाई : बिजाई से 45-50 दिनों बाद पौधे पैदावार देनी शुरू कर देते हैं| इसकी 10-12 तुड़ाइयां की जा सकती हैं| खीरे की कटाई मुख्य तौर पर बीज के नर्म होने और फल हरे और छोटे होने पर करें| कटाई के लिए तेज़ चाकू या किसी और नुकीली चीज़ का प्रयोग करें| इसकी औसतन पैदावार 33-42 क्विंटल प्रति एकड़ होता है|

कटाई के बाद: भूरे रंग के फल बीज उत्पादन के लिए सबसे बढ़िया माने जाते है| बीज निकालने के लिए, फलों के गुद्दे को  1-2 दिनों के लिए ताज़े पानी में रखा जाता हैं, ताकि बीजों को आसानी से अलग किया जा सके| फिर इनको हाथों से रगड़ा जाता है और भारी बीज पानी में नीचे बैठ जाते हैं और इनको कई और कार्यो के लिए रखा जाता हैं|

मिट्टी: मिट्टी की अलग-अलग किस्मे जैसे की रेतली दोमट से भारी मिट्टी में उगाया जा सकता हैं| खीरे की फसल के लिए दोमट मिट्टी में, जिसमे जैविक तत्वों की उच्च मात्रा हो और पानी का अच्छा निकास हो, उचित पैदावार देती है| खीरे की खेती के लिए मिट्टी का pH 6-7 होना चाहिए|

ज़मीन की तैयारी: खीरे की खेती के लिए, अच्छी तरह से तैयार और नदीन रहित खेत की जरूरत होती है| मिट्टी को अच्छी तरह से भुरभुरा बनाने के लिए, बिजाई से पहले 3-4 बार खेत की जोताई करें| रूड़ी की खाद, जैसे गाये के गोबर को मिट्टी में मिलाये, ताकि खेत की उपजाऊ शक्ति बढ़ जाये| फिर 2.5 मीटर चौड़े और 60 सैं.मी. के फासले पर नर्सरी बैड तैयार करें|

बिजाई का समय: इसकी बिजाई फरवरी के दूसरे पखवाड़े से लेकर मार्च के पहले सप्ताह में की जाती है और बारिश के मौसम में जून जुलाई महीने में बिजाई की जाती है।

 
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25% छूट
1 Pieces
₹ 26460
₹ 19600
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30% छूट
500.00 Gm
₹ 480
Out of Stock
₹ 332
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30% छूट
1.00 Kg
₹ 930
Out of Stock
₹ 648
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5% छूट
1 Pieces
₹ 30000
₹ 28500
फासला: पौधे से पौधे में 60 सैं.मी. फासले का प्रयोग करें।

बीज की गहराई: बीज को 2-3 सैं.मी. की गहराई पर बोयें।

बिजाई का ढंग: छोटी सुरंगी विधि: इस विधि का प्रयोग खीरे की जल्दी पैदावार लेने के लिए किया जाता in early summer है| यह विधि फसल को दिसंबर और जनवरी की ठंड से बचाती है| दिसंबर के महीने में 2.5 मीटर चौड़े बैडों पर बिजाई की जाती है| बीजों को बैड के दोनों तरफ 45 सैं.मी. के फासले पर बोयें| बिजाई से पहले, 45-60 सैं.मी. लम्बे और सहायक डंडों को मिट्टी में गाढ़े| खेत को प्लास्टिक की शीट (100 गेज़ मोटाई वाली) को डंडों की सहायता से ढक दें| फरवरी महीने में तापमान सही होने पर प्लास्टिक शीट को हटा दें| (i ) गड्ढे खोद कर बिजाई करना (ii) खालियां बनाकर बिजाई करना  (iii ) गोलाकार गड्ढे खोद कर बिजाई करना

बीज की मात्रा: एक एकड़ खेत के लिए 1.25-1.6 किलोग्राम बीज की मात्रा काफी हैं|

बीज का उपचार: बिजाई से पहले, फसल को कीटों और बीमारियों से बचाने के लिए और जीवनकाल बढ़ाने के लिए, अनुकूल रासायनिक के साथ उपचार करें| बिजाई से पहले बीजों का 2 ग्राम कप्तान के साथ उपचार करें|

खाद: खेत की तैयारी के समय, नाइट्रोजन 20 किलो (यूरिया 45 किलो), फासफोरस 10 किलो (सिंगल फास्फेट 65 किलो) और पोटाशियम 10 किलो (म्यूरेट ऑफ़ पोटाश 17 किलो) शुरुआत में खाद के रूप में डालें|

  सिंचाई: गर्मी के मौसम में इसको बार-बार सिंचाई की जरूरत होती है और बारिश के मौसम में सिंचाई की जरूरत नहीं होती है| इसको कुल 10-12 सिंचाइयों की आवश्यकता होती हैं| बिजाई से पहले एक सिंचाई जरूरी होती है, इसके बाद 2-3 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें| दूसरी बिजाई के बाद, 4-5 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें|

  खाद: बिजाई के समय नाइट्रोजन की आधी मात्रा, फासफोरस और पोटाश की पूरी मात्रा बिजाई के समय डालें। बाकी की नाइट्रोजन को दो भागों में बांटे -पहले भाग को बिजाई के एक महीने बाद और दूसरे भाग को फूल निकलने के समय डालें।

 
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