बिजाई से पहले 10 लीटर पानी में 20 ग्राम कार्बेनडाज़िम @ 1 ग्राम स्ट्रैप्टोसाईक्लिन घोल लें और इस घोल में बीजों को 8-10 घंटे तक भिगोयें। उसके बाद बीजों को छांव में सुखाएं इस तरह बीज बिजाई के लिए तैयार होते हैं।
नर्सरी तैयार करना:
नर्सरी तैयार करने के लिए 15 से 30 मई तक का अनुकूल समय होता है।
वैट बैड नर्सरी:
यह तकनीक उन क्षेत्रों में अपनाई जाती है जहां पर पानी ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। नर्सरी का 1/10 हिस्सा दूसरे खेत में लगाया जाता है। इसकी बिजाई छींटे द्वारा की जाती है। यहां पर खेत की जोताई और खेत को समतल किया जाता है। बैडों पर कईं दिन तक नमी बनाए रखनी चाहिए। पानी से खेत को ज्यादा ना भरें। जब नर्सरी 2 सैं.मी. से वृद्धि कर जाए तब पानी को खेत में लगाते रहना चाहिए। बिजाई के 15 दिन बाद 26 किलो यूरिया डालना चाहिए। जब नर्सरी 25-30 सैं.मी. तक लंबी हो जाए तब उसे 15-21 दिन बाद दूसरे खेत में लगा देना चाहिए और खेत को लगातार पानी लगाते रहना चाहिए।
सूखे बैड वाली नर्सरी:
यह तकनीक शुष्क क्षेत्रों में अपनाई जाती है। जो बैड बनाया जाता है वो बिजाई वाले खेत का 1/10 हिस्से में बीज बोया जाता है। बैड का आकार सीमित होना चाहिए और उसकी ऊंचाई 6-10 से.मी होनी चाहिए। धान का आधा जला हुआ छिलका बैड पर बिखेर देना चाहिए। इससे जड़ें मजबूत होती हैं। सही समय पर सिंचाई करते रहना चाहिए और नमी बनाए रखना चाहिए ताकि नए पौधे नष्ट ना हों। तत्वों की पूर्ति के लिए खाद डालना जरूरी है।
मॉडीफाईड मैट नर्सरी:
यह नर्सरी लगाने का एक ऐसा तरीका है जिसमें कम जगह और कम बीजों की जरूरत होती है। यह नर्सरी किसी भी जगह पर बनाई जा सकती हैं जहां पर समतल जगह हो और पानी की सुविधा हो इसकी पनीरी लगाने के लिए 1% खेत की जरूरत होती है। 4 से.मी की सतह पर नए पौधे लगाए जाते हैं। इसे बनाने के लिए 1 मीटर चौड़े और 20-30 मीटर लंबे जमीन के टुकड़े की जरूरत होती है। इसके ऊपर बिछाने के लिए पॉलीथीन और केले के पत्तों की जरूरत होती है। इसके इलावा एक लकड़ी का बकसा जो कि 4 से.मी गहरा होता हैं मिट्टी के मिश्रण से भरा होता है। बीजों को इसके अंदर रख देना चाहिए और फिर बीजों को सूखी मिट्टी के साथ ढक देना चाहिए। इसके बाद पानी का छिड़काव कर देना चाहिए। लकड़ी के बक्से को नमी देते रहना चाहिए। बिजाई से 11-14 दिनों के बाद पौध तैयार हो जाती है। जब पौध तैयार हो जाती है तब मैट से पौध को दूसरे खेत में रोपण कर दिया जाता है।
फासला:
पौधों का फासला 20x20 से.मी या 25x25 से.मी होना चाहिए।
कद्दू करके लगाई जाने वाली पनीरी:
आमतौर पर पंक्ति में लगाए जाने वाले पौधे 20x15 सैं.मी. दूरी पर लगाए जाते हैं और देरी से लगाई जाने वाली पनीरी 15x15 सैं.मी. पर लगाई जाती है। नए पौधों की गहराई 2-3 सैं.मी. होनी चाहिए।
बैड बनाकर लगाई जाने वाली पनीरी:
यह बैड भारी ज़मीनों के लिए बनाए जाते हैं। पनीरी लगाने से पहले खालियों में पानी लगाना चाहिए और फिर पनीरी को खेत में लगाना चाहिए। पौधे से पौधे का फासला 9 सैं.मी. होना चाहिए।
मशीनी ढंग से लगाई जाने वाली पनीरी:
मैट पनीरी के लिए मशीनों का प्रयोग किया जाता है। यह मशीन 30x12 सैं.मी. के फासले पर पनीरी लगानी चाहिए।
फासला:
सही समय पर उगाई जाने वाली फसल के लिए पंक्तियों का फासला 20-22.5 सैं.मी. रखा जाता है। यदि फसल की बिजाई पिछेती होती है। तो फासला 15-18 सैं.मी. रखना चाहिए।
बिजाई का ढंग :
इसकी बिजाई छींटे द्वारा की जाती है।
पौधे की गहराई:
पौधे की गहराई 2-3 सैं.मी. होनी चाहिए। फासला बनाकर लगाने से पौधे ज्यादा पैदावार देते हैं।
उर्वरक:
धान के लिए नाइट्रोजन: फासफोरस: पोटाश को 50:12:12 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से डालने के लिए 110 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़, 75 किलोग्राम सिंगल सुपर फासफेट प्रति एकड़ और 20 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में डालें। खादों को डालने से पहले मिट्टी की जांच करवा लें और मिट्टी की जांच के अनुसार खेत में खादों का उपयोग करना चाहिए। यदि मिट्टी की जांच के समय पोटाश और फासफोरस की कमी सामने आती है तो ही इनका प्रयोग करना चाहिए। यदि डी ए पी का प्रयोग करना है तो 100 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़, 27 किलोग्राम डी ए पी प्रति एकड़ और 20 पोटाश और फासफोरस की खुराक डालनी चाहिए। दूसरी खुराक को पनीरी लगाने के तीन सप्ताह बाद डालना चाहिए और दूसरी खुराक से तीन सप्ताह बाद नाइट्रोजन की बाकी बची मात्रा डालनी चाहिए।
खाद:
नीम की परत चढ़े यूरिया का उपयोग करना चाहिए क्योंकि इससे नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है। जिंक की कमी को पूरा करने के लिए 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट हैप्टाहाइड्रेट या 16 किलोग्राम जिंक सल्फेट मोनोहाइड्रेट प्रति एकड़ के हिसाब से उपयोग करना चाहिए। पानी की कमी के कारण पनीरी लगाने के तीन सप्ताह बाद पत्तों का रंग पीला पड़ना शुरू हो जाता है। पानी लगाने के तुरंत बाद एक किलोग्राम फैरस सल्फेट का 100 लीटर पानी में घोल तैयार करके प्रति एकड़ के हिसाब से प्रत्येक सप्ताह दो या तीन बार इसका छिड़काव करना चाहिए।

13% छूट
1 Pieces

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1 Pieces

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27% छूट
1.00 Kg

19% छूट
500.00 ML

39% छूट
250.00 ML

37% छूट
100.00 Gm

22% छूट
250.00 Gm

12% छूट
500.00 Gm

11% छूट
1.00 Kg

19% छूट
1.00 Ltr